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इस संशोधन के उपरांत संविधान में पंचायत नामक शीर्षक से भाग-9 को जोड़ा गया। इस भाग में पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित (343-2430) अनुमीय दिए गए हैं। यह अनुचर पंचायतों की कार्यप्रणाली की संवैधानिक दर्जा प्रदान करते हैं। अब समस्या यह थी कि इन्हीं अनुच्छेदों में से एक अनुच्छेद 243 (M) पंचायती राज व्यवस्था को कई आदिवासी क्षेत्रों में लागू होने से प्रतिबंधित करता है। यह यह यह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होते है जिन्हें संविधान की पांचवीं अनुसूची में विशेष दर्जा प्राप्त है। जब समय के साथ इन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में भी स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने की मांग उठने लगी, तब सरकार द्वारा दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में एक समित्ति का गठन किया गया।
भारतीय सविंधान की पांचवी अनुसूची
भारत के संविधान की पांचवी अनुसूची Schechile) की मूल की सामाजिक, सांस्कृतिक भाषायों एवं आर्थिक आर्थिक अस्तित्व को सुरक्षा करना है। है। इसके तहत आदिवासी संस्कृति, भाषा, जीवनशैली और अधिकारों को राज्यपाल की निगरानी में संवैधानिक संरक्षण दिया गया है। इस अनुसूची में शामिल विभिन्न क्षेत्रों पर संविधान और करी के सीधे हस्तक्षेप को नियंत्रित करने की कोशिश की गई है।
पांचवीं अनुसूची के तहत अनुचीत 244 (1) में आदिवासी क्षेत्रों में प्रशासन की व्यवस्था का उदेख है। इसके भाग- क. (3) में कहा गया है कि प्रत्येक राज्य का राज्यपाल, जिसमें अनुसूचित क्षेत्र हैं, प्रतिवर्ष या राष्ट्रपति की मांग पर अनुसूचित क्षेत्र के प्रशासन के संबंध में प्रतिवेदन सौंपेगा।
संविधान का भाग-9
इस भाग को 73वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया। इस भाग में पंचायती राज व्या से संबंधित अनुच्छेदों का उल्लेख मिलता है।11वीं अनुसूची
भारत के संविधान में 11वीं अनुसूची को 22 संविधान संशोधन 1992 के द्वारा जोड़ा गया था। जिसके तहत पंचायतों के कानून क्षेत्र को 29 विषयों तक सीमित किया गया। इसका अर्थ यह था कि पंचायों कृषि, वन्य जीवर मतस्य उद्योग, लघु सिंचाई जल प्रबंधन, पीने का पानी, पुस्तकालय और पपगत ऊर्जा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास आदि जैसे 29 विभिन्न विषयों पर कार्य करेगा।
73 वां संविधान संशोधन के अंतर्गत मध्य प्रदेश में पंचायती राज व्यवाया 20 अगस्त 1994 से लागू हुआ था।
दिलीप भूरिया कमेटी
आदिवाधी बाहुल्य क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन में आदिवासियों के आर्थिक एवं सजानिफ हितों को पूर्ण करने हेतु मांग की जा रही थी, इस मांग को देखते हुए कोई सरकार में 1994 में मध्यप्रदेश सांसदलीपसिंह भूरिया की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया। इस कमेटी ने 1905 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। इस रिपोर्ट में आदिवासी समाज के साथ किये गए हो की चर्चा की गई थी साथ ही इन क्षेत्रो में स्थानीय शासन को मजबूत करने की सिफारिश भी की थी।
जिसके चार इसी कमेटी की अनुशंसा पर केंद्र सरकारने अनुसूचित क्षेत्रों के लिए विमान (पैसा) अधिनियम को संसद में स्तुत किया। जिसे दिसंबर 1906 में दोनों सदनों के द्वारा बहुमत से पारित किया गया। यह अधिनियम 24 दिशंका 100% को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त होते ही अस्तित्व में आ गया।
ग्राम सभा क्या होती है?
ग्राम सभा एक ऐसा निकाय होता है जिसमें वे सभी लोग सासित बोते हैं जिनके नाम ग्राम स्तर पर पंचायत की निर्वाचन मुभी में दर्ज होते हैं। संविधान के अनुच्छेद 243) क) में ग्राम सभा की परिभाषित किया गया है। ग्राम सभा में जुड़े प्रावधानों को संविधान में 73वें संविधान संशोधन 1992 के द्वारा जीजा गया था। ग्राम सभा की मतदाता सूची में दर्ज 18 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी व्यत्ति धाम सभा के सदस्म हो सकते हैं।Pesa act पेसा एक्ट क्या है?
यह एक केंद्रीय कानून है, जो संविधान के रवें भाग में दिए गए पंचायतों के उपबंधों को आदिवासी क्षेत्रों (पांचवी अनुसूची में शामिल) में कुछ संशोधन के साथ विस्तारित करता है और जनजातीय जनसंख्या को स्वशासन प्रदान करता है।Pesa act का पूरा नाम
इसी कारण इस अधिनियम का पूरा नाम पंचायत (अनुसुचित क्षेत्रों के लिए विस्तार) अर्थात पेसा अधिनियम रखा गया। वर्तमान में 10 राज्य (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिसा और राजस्थान) पांचवी अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
पेसा एक्ट की विशेषता
पेसा कानून के तहत आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को सभी गतिविधियों का केन्द्र बनाने की कोशिश की गई है। इन क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को निम्न जिम्मेदारी देकर सशस्त बनाने का प्रयास किया गया है। आदिवासी बाहुल्य इन गांवों में कौन से विकास के कार्य कराए जाने हैं और प्राथमिकता क्या योगी, यह ग्रामसभा ही तय करेंगी।- खनिजों के लाइसेंस पट्टा देने के लिए ग्राम सभा की सिफारिश लेना अनिवार्य है।
- ग्राम सभाओं ककी ग्राम बाजारों के प्रबंधन की शक्ति प्रदान की गयी है।
- सामुदायिक वन प्रबंधन के तहत अनोपज संबंधी निर्णय ग्रामसभा लेगी। तेंदूपत्ता संग्रहण और विक्रय का काम ग्राममुभा करेंगी।
- बांस-बल्ली आदि की बिक्री से होने वाली आमदनी का एक हिस्सा ग्रामसभा द्वारा गठित को जाने वाली वन विकास समिति में किया जाएगा।
- शराब की दुकान खोलने के लिए ग्रामसभा से अनुमति लेनी होगी।
- यदि ग्रामसभा इन्कार कर देती है तो संबंधित गांव में शराब दुकान नहीं खुलेगी। इसी तरह खदान के संचालन का निर्णय होगा।
- आदिवासी की भूमि पर अदि गैर आदिवासी ने कब्जा कर लिया है ती ग्रामसभा उसे वापस कराएगी। इसके लिए राजस्व विभाग कार्रवाई करेगा।
- पुनर्वास और विस्थापन संबंधी का ग्रामसभा को ही सारे अधिकार दिए गए हैं।
पांचवीं अनुसूची में शामिल मध्यप्रदेश के क्षेत्र
- - पूर्ण रूप में शामिल 5 जिल्हे : अलिराजपूर, झाबुआ, मंडला, बडवानी, डिंडोरी.
- - आंशिक रूप से शामिल 15 जिले : धार, खंडवा, खरगोन, रतलाम, बैतुल, सिवनी, बालाघाट, होशांगावाद, शह'डोल, उमरिया, शोयपूर, छिदवाडा, सिधी, अनुपपूर, बुऱ्हाणपूर.
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प्रमुख तथ्य
- पेसा अधिनियम 24 दिसंबर 1996 को अस्तित्व में आया।
- दिलीप सिंह भूरिया समिति पेसा अधिनियम से संबंधित है।
- अनुच्छेद 243 (M) पंचायत के उपबंधों को कई क्षेत्र में लागू करने से प्रतिबंधित करता है|
- 11वीं अनुसूची में पंचायतों से संबंधित 29 विषयों को रखा गया है |
- संविधान का भाग १ पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित है।
- 5वीं अनुसूची आदिवासी क्षेत्रों को विशेष दर्जा प्रदान करता है।
- ग्राम सभा को मतदाता सूची में दर्ज 18 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी व्यक्ति ग्राम सभा के सदस्य होते हैं।
- प्रतिवर्ष 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस मनाया जाता है।
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