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Adivasi Aabhushan aur gahane : आदिवासी आभूषण भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा हैं, जो न केवल उनकी सुंदरता और कलात्मकता को दर्शाते हैं, बल्कि उनके इतिहास, परंपराओं और जीवनशैली का गहरा प्रतीक भी हैं। ये गहने हर आदिवासी समुदाय की विशिष्ट पहचान और सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखते हैं। आदिवासी समाज की परंपरा, आदिवासी आभूषण और गहने के जानकारी जाने हिंदी में | Adivasi Aabhushan aur gahane
आदिवासी आभूषण और गहने : संस्कृति और परंपरा की अनमोल धरोहर
आदिवासी आभूषण भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा हैं, जो न केवल उनकी सुंदरता और कलात्मकता को दर्शाते हैं, बल्कि उनके इतिहास, परंपराओं और जीवनशैली का गहरा प्रतीक भी हैं। ये गहने हर आदिवासी समुदाय की विशिष्ट पहचान और सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखते हैं।
आदिवासी गहनों की विशेषताएं
प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग:
आदिवासी आभूषण मुख्य रूप से प्राकृतिक सामग्रियों से बनाए जाते हैं, जैसे- चांदी - तांबा - कांच - लकड़ी - बीज, शंख और कौड़ी - हड्डी और पत्थर - बांस आदि।
डिजाइन और पैटर्न:
हर समुदाय के आभूषणों में अद्वितीय डिजाइन होते हैं, जो उनके रीति-रिवाजों और विश्वासों को दर्शाते हैं।
ज्यामितीय आकार, प्राकृतिक दृश्य (पत्तियां, फूल) और पौराणिक कथाओं से प्रेरित डिजाइन प्रमुख होते हैं।
गहनों के प्रकार: Adivasi Aabhushan aur gahane
आदिवासी गहनों में विविधता होती है। प्रमुख गहनों में शामिल हैं:
- माथे का टीका: जिसे 'सिरबंध' या 'खापा' भी कहते हैं।
- गले के हार: हसली, मोहाना माला, या सीप और कौड़ी से बने हार।
- कानों के झुमके: कर्णफूल, बाली, या लंबी झुमकियां।
- हाथ के गहने: कड़ा, चूड़ियां और बाजूबंद।
- कमर और पैरों के गहने: कमरबंद, पायल और बिछुए।
- समुदाय विशेष गहने: चांदी के भारी हार, कड़ा, चूड़ियां और बाजूबंद ।
- गोंड और भील जनजाति: चांदी के भारी हार, बड़ी नथ और चूड़ियां।
- संथाल जनजाति : कौड़ी और शंख से बने गहने।
- नगालैंड के आदिवासी: पत्थरों और हड्डियों से बने हार
- ओडिशा के सौर जनजाति: धातु से बने बड़े झुमके और हाथ के कड़े।
संस्कृति और परंपरा का प्रतीक
आदिवासी गहने केवल सौंदर्य बढ़ाने के लिए नहीं होते, बल्कि वे समाज के विभिन्न पहलुओं को भी दर्शाते हैं:
- आध्यात्मिक महत्व: गहनों को शुभता और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में पहना जाता है।
- सामाजिक स्थिति: गहनों की मात्रा और प्रकार से किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति और आर्थिक समृद्धि का पता चलता है।
- त्योहार और अनुष्ठान: आदिवासी गहनों का प्रमुख उपयोग विवाह, त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों में होता है।
वर्तमान समय में आदिवासी गहनों का महत्व
आधुनिक फैशन और शहरीकरण के बावजूद, आदिवासी आभूषणों की लोकप्रियता आज भी बरकरार है। अब ये गहने न केवल पारंपरिक परिधानों के साथ, बल्कि पश्चिमी पोशाकों के साथ भी पहने जाते हैं। फैशन डिजाइनर और हस्तशिल्प बाजार अब इन गहनों को नई पहचान देकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बना रहे हैं.
संरक्षण की आवश्यकता
आज, शहरीकरण और मशीन-निर्मित गहनों के कारण पारंपरिक आदिवासी आभूषणों पर खतरा मंडरा रहा है। इन गहनों और उन्हें बनाने वाले कारीगरों को संरक्षित करने के लिए:
- - हस्तशिल्प मेलों का आयोजन किया जाना चाहिए।
- - आदिवासी कला को प्रोत्साहन और पहचान दी जानी चाहिए।
- - सरकार और संगठनों को इनके प्रचार-प्रसार के लिए प्रयास करने चाहिए।
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झाबुआ अलीराजपुर के आदिवासी इस समय पहनते है पारंपरिक गहने जो इस प्रकार से हैं। गहने पारंपरिक त्योहारों, हाट, शादियों, बाबा गल, भगोरिया, राखी, दुल्हन जब मायके जाती है तो वह पहनती हैं।
ऐसे अनेक बार पहनते हैं। महिलाओ के गले में ये गहने पहनती हैं- टागली, हाकली, चेन, गलहन, मंगलसूत्र, टोरणइयू आदि। महिलाओं में हाथ में पहनती हैं- बाहटिया, हटका, हतेलू, विटियो (अगुटिया), करमदियो, चूड़ियों, कंगन आदि।
कमर में कांदोरा, छला, आंकड़ा पहनते हैं। पैरों में कड़ला, तोड़ा, विसुड़ियो और झांझरिया पहनती है। सिर में बोर और कानों में लोलिया, वेडला, पहनते है। नाक मे नतडी और वाली, काटो पहनते है इसमें काटा सोने का भी पहनते हैं। पुरुष हाथ में भोरिया पहनते हैं कड़ा भी पहनते हैं और गले में चेन पहनते हैं कानों में मोरखी और सीने में कंदोरा भी पहनते हैं।
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निष्कर्ष
आदिवासी आभूषण केवल सजावट के साधन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की जीवंत धरोहर हैं। उनकी विविधता, कलात्मकता और सांस्कृतिक महत्व हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। इन्हें संरक्षित करना न केवल हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि अपने इतिहास और परंपराओं को जीवित रखने का एक तरीका भी है। Adivasi Aabhushan aur gahane
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