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सात दिन तक चलने वाला यह महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र, जळगाव, धुलिया, नंदुरबार और मध्य प्रदेश के, झाबुआ, धार, खरगोन, अलीराजपुर, जैसे क्षेत्र में विशेष रूप से मनाया जाता है।
होली के मौके पर आदिवासी बहुल इलाके में लगने वाले भगोरिया पर्व के मौके पर इसका नजारा आज भी देखने को मिलता है। सामाजिक सद्भाव के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं। ये परंपरा कई साल से चली आ रही है और इसका मतलब भी बाकी जगहें के होली के त्योहार मनाने से काफी अलग है।
भगोरिया पर्व की शुरुआत किसने की? World famous Bhagoria Haat has arrived :
भगोरिया का इतिहास साढ़े चार सौ साल पुराना है। जो भगोरिया पर्व की शुरुआत राजा भोज ने शुरू की थी,
कैसे हुई थी भगोरिया हाट की शुरुआत..World famous Bhagoria Haat has arrived :
इतिसकारही केके त्रिवेदी के अनुसार लोक संस्कृति के उत्सव भरिमा का इतिहास करीब साढ़े चार सौ साल पुराना है। झाबुआ जिले के हेटे से गांव भण्हेर जिसे भूगु अवि की लकड़है वहां से शुरू होकर ये आदिम बस कामता में तलाको निकुन से लेकर खरगोन तक पहुंच गया। इस तरह से भगोरिया उत्सव का शुभारंभ हुआ।
आदिवासी समाज का प्रमुख त्यौहार है....
भगोरिया महोत्सन आदिवासी समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। मान्यता है कि भगोरिया पर्व की शुरुआत राजा भोग ने शुरू की थी। उस समय दो भील राजा कासूमरा और बालून ने अपनी राजधानी में भगीर मेले का आयोजन किया धीरे-धीरे आस-पास के भील राजाओं ने भी इन्नों का अनुसरण करना शुरू किया, इस घाट और मेले की भरिया कहने का चलन बन गया।
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Time Table World famous Bhagoria Haat
राजनीतिक दल भी भगोरिए में करते हे शक्ति प्रदर्शन.....
आदिवासी अंचल के प्रमुख पर्व को लेकर राजनेता भी पीछे नहीं हे प्रमुख राजनीतिक दल सैकड़ों मंवल के साथ बड़ी बड़ी रेलियां इस भगोरिया हाट में निकालकर शक्ति प्रदर्शन करते है, जिससे ज्यादा ढोल होते है उस नेता का प्रदर्शन बेहतर माना जाता है....राजनेता इस दौरान लोगों को होली की बधाई भी देते हे और उनके साथ जमकर थिरकते भी है.